________________
८. निर्वाण
भगवान् महावीर ग्रामानुग्राम विहार करते हुए पावा में पहुंचे। राजा हस्तिपाल और उसकी प्रजा ने भगवान् को वंदना की। भगवान ने उन्हें निर्वाण का रहस्य समझाया। वे निर्वाण के सर्वाधिक शक्ति-संपन्न प्रवक्ता थे। प्रवचन के बाद भगवान् ने गौतम को बुलाकर कहा-'गौतम! यहां से कुछ दूरी पर सोमशर्मा ब्राह्मण रहता है। वह तत्त्व का जिज्ञासु है। तुम्हारा उपदेश पाकर वह प्रतिबुद्ध होगा। तुम वहां जाओ और उसे प्रतिबुद्ध करो।'
गौतम भगवान् के वचन को शिरोधार्य कर सोमशर्मा को प्रतिबोध देने चले गए।
भगवान् दो दिन से उपवास कर रहे थे। जल भी नहीं ले रहे थे। उन्होंने इन दिनों में बहुत लम्बे प्रवचन किए। उनमें कर्मफल का विस्तार से विवेचन किया। अपना प्रवचन संपन्न कर भगवान् मौन हो गए। वे पद्मासन में बैठे थे। उनका शरीर स्थिर और शान्त हो गया। वे इस स्थूल शरीर के साथ-साथ सूक्ष्म शरीर से भी मुक्त हो गए। जन्म और मृत्यु की श्रृंखला उनसे विछिन्न हो गई। ज्योति केवल ज्योति रह गई।
____ कार्तिक कृष्णा अमावस्या के उषाकाल (चार घड़ी शेष रात्रि) में भगवान् का निर्वाण हुआ। उस समय भगवान् के पास सुधर्मा आदि अनेक साधु थे। मल्ल और लिच्छवि गणराज्य के अठारह राजे भी वहां उपस्थित थे। उस अवसर पर उन्होंने दीप जलाकर ज्योति की प्रशस्ति की।
भगवान् के निर्वाण का संवाद सब जगह फैल गया। भगवान् के बड़े भाई नन्दिवर्धन को इसका पता चला। वे व्यथित हो गए। निर्वाण परम १. गुजराती परम्परा के अनुसार आश्विन कृष्णा अमावस्या ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org