________________
अंधकार से प्रकाश की ओर / ७७
मोह सामने आता है, तो सबका मोह छूट जाता है । दुनिया में सबसे ज्यादा बैर बढ़ाने वाला कोई उपकरण है तो वह है धन, । इस धन के कारण सबके साथ बैर हो जाता है।
साधु ने प्रसन्न होकर अपने भक्त को पारसमणि दिया । भक्त ने पूछापत्थर का क्या करूंगा ! साधू बोला- यह पत्थर नहीं, पारसमणि है । इससे लोहा सोना बनता है । वह लेकर चला । तत्काल लौटकर आया और बोलामुझे तो वह चाहिए जिसे पाकर आपने इसका त्याग किया है । मुझे तो वह चाहिए, यह नहीं चाहिए । कितनी मर्म की बात कही !
दुनिया में ऐसा भी होता है कि जिसे पाकर आदमी पारसमणि को भी ठुकरा देता है । चिन्तामणि रत्न को भी ठुकरा देता है । वह सबसे बड़ी शक्ति है धर्म की शक्ति और त्याग की शक्ति । वह तब मिलती है जब हमारा तीसरा नेत्र खुलता है, जब हमारी चेतना जाग जाती है । यह तीसरा नेत्र खुल जाना सबसे बड़ा प्रकाश है । यही अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है ।
फिर प्रश्न होगा कि यह खुले कैसे ? बात तो ठीक लगती है, खुल जाए, पर खुले कैसे ? खोलने की चाबी आपके हाथ में है । हाथ हिलाने की जरूरत है । सारी चाबियां आपके पास हैं । केवल जानना है कि चाबियां कैसे घुमाई जाएं । बस इतनी-सी जरूरत है।
जब मनुष्य में शक्ति का जागरण होता है तो सारी चाबियां घूम जाती हैं । वह अंधकार से प्रकाश की ओर चलने लग जाता है | तीन शक्तियां हैं..इच्छा-शक्ति, संकल्प-शक्ति और एकाग्रता की शक्ति ।
इच्छा शक्ति हमारे मन में काम करने की बलवान् इच्छा होनी चाहिए। जब तक काम करने की बलवती इच्छा नहीं होती, तब तक काम नहीं होता । जैसे ही मन में एक तीव्र इच्छा जागती है, आदमी काम करने को तैयार हो जाता है ।
संकल्प शक्ति—संकल्प की शक्ति बड़ी प्रबल होती है। जिन लोगों ने इसका अनुभव किया है वे जानते हैं कि असंभव लगने वाली बात संकल्प के द्वारा संभव बनाई जा सकती है | संकल्प का प्रयोग बड़ा विचित्र होता
एक साधक के पास एक आदमी आया । साधक एक पत्थर पर बैठा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org