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विद्युत् का चमत्कार | ३१
चली गई थी मस्तिष्क की कोशिकाओं में, फिर कोई ऐसा बटन दबा, वह बिजली आ गई और वह जी गया । लोगों ने समझ लिया कि यह तो जिन्दा भूत हो गया । यह बहुत बड़ा चमत्कार है हमारे प्राण की शक्ति का । आंख में देखने की ताकत नहीं, कान में सुनने की शक्ति नहीं, जीभ में रसास्वाद की अनुभूति नहीं, यह सब जो करता है, भरता है शक्ति को, वह है प्राण | एक प्राण का प्रकाश आता है, सब अपना-अपना काम करने लग जाते हैं। सब प्रकाश से भर उठते हैं । और जब प्रकाश चला जाता है तो सब कांच के टुकड़ों की तरह बेकार हो जाते हैं । प्रकाश की क्षमता को खो बैठते हैं । ___मूल प्रश्न है प्राण का | प्राण सबसे बड़ा चमत्कार है । दुनिया में जितने चमत्कार होते हैं वे अब प्राण के द्वारा होते हैं । यदि प्राण की शक्ति न हो तो दुनिया में कोई चमत्कार नहीं । आज विद्युत् का युग है, वैज्ञानिक युग है। कहना चाहिए विद्युत् है इसलिए विज्ञान है । विद्युत् समाप्त हो जाए तो समूचा विज्ञान समाप्त हो जाए । विज्ञान रहेगा ही नहीं । सब कुछ चल रहा है बिजली के आधार पर । वास्तव में विद्युत् युग है । इतने बड़े चमत्कार आज की दुनिया में चलते हैं कि कमरा बन्द है, आदमी आया । जैसे ही कमरे के पास पैर रखा, दरवाजा अपने आप खुल जाता है । जैसे ही भीतर गया, कुर्सी पर बैठा, पंखा अपने आप चलने लग गया । कोई बटन दबाने की जरूरत नहीं । बल्ब जल उठा । यह तो आज की बात है । ईस्वी सन् २००० के बाद क्या होगा बताऊं? आदमी भोजन की टेबल पर जाकर बैठेगा, अपने आप भोजन आ जाएगा । अपने आप पकेगा । खा लिया, हाथ अपने आप धुल जाएंगे, रूमाल आ जाएगा; कुछ भी करने की जरूरत नहीं । बस पचाना पड़ेगा । खाना पड़ेगा, पचाना पड़ेगा आपको । यह सारा हो रहा है बिजली के द्वारा । ऐसी ऑटोमेटिक व्यवस्था है विद्युत् की कि सब काम बिजली कर रही है | कितना बड़ा है विद्युत का चमत्कार । यह है सारा बिजली का चमत्कार | तो बाह्य जगत् में होने वाली बिजली के इतने बड़े चमत्कार हमारे सामने हैं तो हमारे भीतर की बिजली के चमत्कार तो इससे भी और बड़े हैं । यह बाह्य जगत् की बिजली का चमत्कार भी कौन कर रहा है ? भीतर का प्राण ही तो कर रहा है । यदि यह भीतर का प्राण नहीं है तो वह चमत्कार भी हो नहीं सकता। ये सारे चमत्कारों को पैदा करने वाली विद्युत् हमारे भीतर बैठी है।
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