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२४ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता
यह तो डॉक्टर लोग जानते हैं, शरीरशास्त्री जानते हैं कि एड्रीनल ग्रंथि का अधिक स्राव होने से उत्तेजना बढ़ जाएगी, गुस्सा बढ़ जाएगा, वासना बढ़ जाएगी और वृत्तियां उभर आएंगी। इस बात का पता है उनको, किन्तु इनके स्राव को कैसे नियन्त्रित किया जा सकता है, पिनियल और पिच्यूटरी के स्राव को कैसे नियन्त्रित किया जा सकता है, थाइराइड के स्राव पर कैसे कंट्रोल किया जा सकता है, डॉक्टर या शरीरशास्त्री नहीं जानते । योग के आचार्यों ने शरीर के बारे में इतनी सूक्ष्म खोजें की थीं, अध्यात्म के आचार्यों ने इस शरीर को इतना गहराई के साथ पढ़ा था कि उन्होंने जिन रहस्यों का उद्घाटन किया वे रहस्य आज भी शरीरशास्त्र के माध्यम से उद्घाटित नहीं हो पा रहे हैं ।
मुझे पता है कि गुस्सा एड्रीनल ग्रंथि की उत्तेजना होने पर आता है किन्तु गुस्से को कैसे मिटाया जाता है इसका भी मुझे पता होना चाहिए। दोनों बातों का पता होना चाहिए ।
गाय से गोमूत्र भी प्राप्त किया जा सकता है और दूध भी प्राप्त किया जा सकता है ।
एक द्वीप था । वहां के निवासी गाय से परिचित नहीं थे । एक व्यापारी गाय लेकर उसी द्वीप में गया। उस द्वीप में रत्नों का व्यापार होता था । व्यापारी रत्नों को खरीदने वहां गया था । उसने राजा को प्रसन्न करना चाहा । एक दिन वह गाय का दूध लेकर राजा के पास गया | राजा ने दूध पिया, बहुत प्रसन्नता व्यक्त की । दूसरे दिन दही । तीसरे दिन मक्खन । इस प्रकार वह प्रतिदिन कुछ-न-कुछ उपहार लेकर जाता और राजा बहुत प्रसन्नता व्यक्त करता । कुछ दिन बीते । व्यापारी ने राजा से विदा ली । राजा ने कहासेठ, तुम जो चीजें हमें रोज-रोज भेंट में देते थे, उस वृक्ष को यहीं छोड़ जाना, साथ में मत ले जाना । मैं तुम्हें करों से मुक्त करता हूं । सेठ ने गाय वहीं छोड़ दी ।
सेठ चला गया । राजा ने अपने आदमियों से कहा— दो-चार आदमी हरदम उस वृक्ष के पास खड़े रहें । वह वृक्ष जो भी दे उसे तत्काल मेरे पास प्रस्तुत करें । आदमी सोने-चांदी के बर्तन लेकर खड़े हो गये । गाय ने मूत्र किया । आदमी ने चांदी के वर्तन में उसे एकत्रित कर लिया । वह तत्काल
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