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२१२ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता
की आचार संहिता है, किन्तु इस दृष्टि से करें कि यह जीवन की आधारभूत नींव है। प्रत्येक व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के लिए यह अत्यावश्यक है कि वह अपनी संकल्प शक्ति को बढ़ाए। वह उसका इतना विकास करे कि संकल्प के बल पर जीवन का प्रासाद इस प्रकार खड़ा हो कि प्रलयकाल के पवन का झोंका भी उसे प्रकंपित न कर सके, धराशायी न कर सके ।
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