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व्यक्ति और समाज | १७७ है और न त्याग है । चंद्रगुप्त का साम्राज्य शक्तिशाली था । उसकी शक्ति का मूल घटक था महामंत्री चाणक्य । यदि चाणक्य नहीं होता तो चंद्रगुप्त नहीं होता और वह इतने बड़े साम्राज्य की नींव डालने में कभी सफल नहीं होता । चाणक्य इतने बड़े साम्राज्य का महामंत्री, सर्वेसर्वा, पर वह रहता था एक घास-फूस की झोंपड़ी में, कुछेक साधनों के साथ | वह तपस्वी और त्यागी का जीवन बिताता था । और निष्ठा के साथ इतने बड़े साम्राज्य का संचालन करता था । शक्ति का संचय व्यक्ति के आधार पर होता है । निर्णय और चिन्तन के आधार पर होता है । ऐसा एक व्यक्ति समूचे राष्ट्र को प्रभावित कर देता है । व्यक्ति-निर्माण को हम गौण नहीं कर सकते । यदि एक व्यक्ति का आज निर्माण होता है तो संभव है उसका फल बीस वर्ष बाद मिले । किन्तु यदि हम व्यक्ति-निर्माण की बात को गौण कर देते हैं तो कालान्तर में मिलने वाले फल की आशा ही कैसे कर सकते हैं ? यदि आज हम यह सोचें कि कब आदमी का निर्माण होगा और कब उसका उपयोग होगा तो मान लेना चाहिए कि काम कभी होगा ही नहीं ।
एक बूढ़ा आदमी आम का बीज बो रहा था । एक युवक ने कहाअरे बूढ़े ! यह क्या कर रहे हो ? तुम तो मरने वाले हो, आम बोकर क्या करोगे ? कौन खाएगा ! बूढ़े ने कहा- मैं नहीं रहूंगा तो क्या, मेरी आने वाली पीढ़ी तो खाएगी ! यदि हमारे पूर्वज भी यही सोच लेते तो आज हमें आम कहां से मिलता ? मैं आम बो रहा हूं। अगली पीढ़ी इसके फल चखेगी । यह निरर्थक काम नहीं है, सार्थक है ।
___ हम निराश न हों यह सोचकर कि आज यदि हम व्यक्ति का निर्माण करते हैं तो हमें तो उसका फल मिलेगा नहीं । आज यदि अच्छे व्यक्ति के निर्माण की प्रक्रिया चलती है तो दस-बीस वर्ष बाद फल आएगा, वह फल अवश्य लाभदायी होगा । यदि हम उस दिशा में प्रस्थान ही नहीं करेंगे तो परिणाम कभी आएगा ही नहीं ।।
व्यक्ति-निर्माण के पांच घटक हैं१. कर्तव्य-निष्ठा २. प्रामाणिकता ३. सहिष्णुता
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