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व्यक्ति और समाज | १७३ कुछ व्यक्ति ही जुड़े होते है । यदि संचालन में जुड़े हुए वे व्यक्ति प्रामाणिक हैं, सत्यनिष्ठ हैं, सम्यक् दृष्टि वाले हैं तो समाज की व्यवस्था का संचालन सम्यक् होगा और यदि वे व्यक्ति सही नहीं हैं तो समाज का संचालन दोषपूर्ण हो जाएगा। संचालन के महत्त्वपूर्ण घटक हैं—चिन्तन और निर्णय | कोई भी व्यवस्था यदि बनती है तो वह संचालन के आधार पर बनती है । व्यवस्था का संचालन करने वाला व्यक्ति किस प्रकार सोचता है, और किस प्रकार निर्णय लेता है, इस तथ्य पर पूरे समाज का भविष्य और भाग्य टिका रहता है । एक सेनापति के निर्णय पर आधारित होती है सेना की हार या जीत | एक शासक के निर्णय पर आधारित होता है देश का जीवन और मरण । एक प्रशासक निर्णय लेता है, उसके साथ प्रजा के हितों का संबंध जुड़ा रहता है । वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन हार गया । युद्ध विशेषज्ञों ने हार के कारणों की खोजबीन की । सर्वत्र विजय पाने वाला नेपोलियन हार गया, क्यों ? इसकी खोज के निष्कर्षों में डॉक्टर ने कहा कि उस समय नेपोलियन की पिच्यूटरी ग्लैण्ड निष्क्रिय हो गई, फेल हो गयी । इसीलिए वह सही निर्णय नहीं ले सका और उसके फलस्वरूप उसे हारना पड़ा । हमारे निर्णयों के लिए यह पिच्यूटरी ग्लैण्ड बहुत जिम्मेदार है । जब यह ग्रन्थि विकृत होती है तब निर्णय गलत होने लगते हैं । एक व्यक्ति की पिच्यूटरी विकृत होने पर सारी सेना को पराजय का मुंह देखना पड़ा । न जाने प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनसंग्राम में कितनी पराजयों को झेलता जाता है । ये सारी पराजय गलत निर्णयों के कारण होती हैं । ये गलत निर्णय होते हैं उन ग्रन्थियों की अस्वस्थता और विकृति के कारण | क्या समाज का भविष्य, समाज का भाग्य, व्यक्ति के साथ जुड़ा हुआ है ? हम इस बात को गौण नहीं कर सकते कि समाज पर शासन करने वाले व्यक्ति या समाज का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति का चरित्र कैसा है ? उसकी स्थिति क्या है ? उसका स्वास्थ्य कैसा है ? उसका सौन्दर्य कैसा है ? स्वास्थ्य का तात्पर्य केवल हाड़-मांस से नहीं है। स्वास्थ्य का तात्पर्य है कि उस वयक्ति का नाड़ी-संस्थान कितना स्वस्थ है ? उसका ग्रन्थितन्त्र कितना स्वस्थ है ! आखिर हम लोग बाह्य दृष्टि वाले हैं, चर्मचक्षु से देखते हैं | मांसल व्यक्ति को स्वस्थ मान लेते हैं और अच्छे रंगरूप वाले को सुन्दर मान लेते हैं । सौन्दर्य भीतर का होता है । सुन्दर वह होता है जिसका मस्तिष्क
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