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________________ मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता । १६३ एक शिष्य ने गुरु से पूछा— 'गुरुदेव ! यह चट्टान इतनी विशाल और मजबूत है । क्या इस पर किसी का शासन है ?' गुरु ने कहा-'इस पर शासन है लोहे के हथौड़े का । जब हथौड़ा और छेनी चलती है तब चट्टान चूर-चूर हो जाती है।' _ 'गुरुदेव ! लोहा इतना मजबूत है तो क्या उस पर भी किसी का शासन - 'हां, अग्नि उस पर शासन करती है | लोहा अग्नि से पिघल जाता है । वह पानी बन जाता है ।' 'गुरुदेव ! आग इतनी शक्तिशाली है तो क्या उस पर भी किसी का शासन है ?' 'हां, पानी अग्नि पर शासन करता है । प्रज्वलित आग पानी बुझा देता 'पानी पर किसका शासन है ?' 'वायु पानी पर शासन करता है । आकाश में कितनी ही घनघोर घटा उमड़ी हो, हवा उसको एक क्षण में बिखेर देता है, छिन्न-भिन्न कर देता है ।' 'वायु पर किसका शासन है ?' 'वायु पर हमारी संकल्पशति का शासन है ।' संकल्पशक्ति बहुत बड़ी शक्ति है । श्वास प्रेक्षा से संकल्पशक्ति का विकास होता है । बड़े आश्चर्य की बात है कि एक मिनट में पचास-साठ श्वास भी लिये जा सकते हैं और एक मिनट में एक श्वास भी लिया जा सकता है। यह सारा होता है संकल्पशक्ति के आधार पर । संकल्प कर लिया कि एक मिनट में एक ही श्वास लेना है तो वैसा घटित हो जाएगा | संकल्पबल श्वास का नियंत्रक है । जब संकल्पशक्ति, इच्छाशक्ति और एकाग्रता की शक्ति का विकास होता है तो उपादान प्रबल होता है । हम उपादान शक्तिशाली बनाने के उपाय पर ध्यान दें और साथ-साथ निमित्तों को गौण करें । इसके उपाय को जान लेना भी जरूरी है । सौरमंडल के विकिरणों से आदमी बहुत प्रभावित होता है । ज्योतिष का आधार भी यही है । सौरमंडल का प्रभाव बहुत प्रबल होता है । मैं यह कहना तो नहीं चाहता कि प्रत्येक व्यक्ति को ज्योतिष के चक्कर में पड़ना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003111
Book TitleMain Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size12 MB
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