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सत्यनिष्ठा
गुडा हि कफहेतुःस्याद् नागरं पित्तकारणम् ।
द्वयात्मनि न दोषोऽस्ति, गुणनागरभेषजे ॥ —गुड़ कफ पैदा करता है और सूंठ पित्त करती है । दोनों को मिलाने पर न कफ होता है और न पित्त । उनके मूल दोष मिट जाते हैं और तीसरा गुण पैदा हो जाता है । दोनों यदि अलग-अलग होंगे तो दोनों की दूरी बनी रहेगी । वे एक दृष्टि से दोषकारक ही होंगे, गुणाकारक नहीं । दोनों का योग होने पर गुणवत्ता आ जाती है ।
चेतना दो प्रकार की है- सूक्ष्म चेतना । मनोविज्ञान की भाषा में सूक्ष्म चेतना को अवचेतन मन कहा जाता है और दर्शन की भाषा में वह सूक्ष्म चेतना है या कर्मशरीर के साथ काम करने वाली चेतना है | मनोविज्ञान के चेतन मन का अर्थ है स्थूल शरीर के साथ, मस्तिष्क के साथ काम करने वाली चेतना, स्थूल चेतना । ___ मन दो हैं । एक मन भीतर है, दूसरा मन बाहर है । एक सूक्ष्म है, दूसरा स्थूल है । इस सूक्ष्म और स्थूल के बीच दूरी है । प्रश्न होता है कि वह दूरी क्यों है ? हमने अपनी ही मान्यताओं के कारण यह दूरी बना रखी है । आदमी बाहरी जगत् में जीता है और उस जगत् के विषयों को मानता है । बाहरी जगत् के दो मुख्य विषय हैं । आदमी डरता है | आदमी के मन में लालच है, प्रलोभन है । वह प्रसन्नता चाहता है, गरिमा और बड़प्पन चाहता है । वह पद चाहता है । ये चार बड़े प्रलोभन हैं । आदमी में भय है । भय भी प्रलोभन का ही हिस्सा है | आदमी निरन्तर डरता रहता है कि प्रसन्नता कम न हो जाए, गरिमा घट न जाए, बड़प्पन में कोई कमी न आ जाए, पद
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