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१३२ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता
सकता । दूध बहुत पीने के बदले अच्छा तो यह है कि सार निकाल कर खाया जाये | आयुर्वेद में सार निकालने की पद्धति है । अर्क निकाले जाते हैं। एलोपैथी में सार निकाल कर विटामिटन की गोलियां बनाई जाती हैं । विटामिन-ए, बी, सी, डी आदि बनते हैं । ये सब सार निकालने पर ही निष्पन्न होते हैं । अधिक खाने पर जितना पौष्टिक तत्त्व या विटामिन प्राप्त होता है, उतना पौष्टिक तत्त्व सार से निष्पन्न एक गोली खाने पर प्राप्त हो जाता
तत्त्वज्ञान का सार है जीवन का दर्शन | जैन आचार्यों ने बिलौने की पद्धति सिखाई थी, उसे हम भूल-से गए । उन्होंने तत्त्वज्ञान का बिलौना सिखाया था । उन्होंने कहा, पहले दोहन करो, जमाओ और फिर बिलौना करो । उसकी पद्धति यह है कि जो आगम पढ़ना चाहो उसे चार अनुयोगों के माध्यम से पढ़ो | यह बहुत महत्त्वपूर्ण पद्धति है | चार अनुयोग ये हैंद्रव्यानुयोग, चरणकरणानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग | यह बिलौना करने की पद्धति है | बिलौने की मथनी के चार डंडे होते हैं । इसी प्रकार इस बिलौने की मथनी के भी ये अनुयोग के चार डंडे हैं ।
द्रव्यानुयोग का अर्थ है- द्रव्य की मीमांसा करो, द्रव्य की व्याख्या करो | यह मथनी का पहला डंडा है ।
चरणकरणानुयोग का अर्थ है- आचार की मीमांसा । इसके विश्लेषण से आचार ज्ञात होता है, जीवन-दर्शन ज्ञात होता है । यह मथनी का दूसरा टुंडा है। ___गणितानुयोग का अर्थ है- गणित की दृष्टि से मीमांसा । इसकी मीमांसा से उस तत्त्व का गणित ज्ञात हो जाता है । यह मथनी का तीसरा टुंडा है।
धर्मकथानुयोग का अर्थ है— कथा के माध्यम से तत्त्व की मीमांसा | जो लोग प्रथम तीन अनुयोगों या दृष्टियों से नहीं समझ पाते, उनके लिए “यह चौथा अनुयोग बहुत सरल और लाभप्रद होता है । इससे मंद व्यक्ति भी तत्त्व को हृदयंगम कर लेता है । यह मथनी का चौथा डंडा है । ये बिलौने के चार डंडे थे । परंतु आदमी डंडों को भी भूल गए, दही जमाना भी भूल गए और बिलौना करना भी भूल गए । दूध कोरा दूध ही रह गया । यह तथ्य
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