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११२ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता
जगाई हो या रामकृष्ण ने विवेकानंद की कुंडलिनी जगाई हो या और किसी ने और किसी की कुंडलिनी जगाई हो, शक्तिपात किया हो, वह सब अस्थायी शक्तिदान होता है, क्षणिक होता है । प्राणायाम
प्रायः यह पूछा जाता है कि प्राणायाम का कालमाण कितना होना चाहिए? मैं मानता हूं कि प्राणायाम की साधना करने वाले व्यक्ति को कालमान का ज्ञान अवश्य करना चाहिए | उसे इस साधना में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
प्राणायाम का तात्पर्य है- तैजस शक्ति के साथ छेड़छाड़ करना । जब किसी विद्युत के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो बहुत सावधान रहना होगा । प्राणायाम के दो आयाम हैं
१. तीव्र श्वास के साथ किया जाने वाला ध्यानशून्य प्राणायाम | २. मन्द श्वास के साथ किया जाने वाला ध्यानयुक्त प्राणायाम ।
तीव्र प्राणायाम एक साथ अधिक नहीं करने चाहिए । उनको प्राणायाम कहा भी जा सकता है और नहीं भी कहा जा सकता है ।
भस्त्रिका तीव्र प्राणायाम है । उसे कोई व्यक्ति घंटा-आधा घंटा करने लग जाए तो उसमें इतनी भयंकर गर्मी बढ़ जाती है कि वह विक्षिप्त हो जाता है, पागल हो जाता है । आज के अनेक भगवानों ने भस्त्रिका के लंबे प्रयोग, चालीस मिनट के प्रयोग शुरू करवाए और उसका परिणाम हुआ कि अनेक व्यक्ति पागल हो गए । गुजरात के एक मानसिक चिकित्सक ने बतायाकिसी भगवान् के पागल बनाए हुए तीसों शिष्य मेरे पास चिकित्सा के लिए आए हैं। उनसे इतना तीव्र प्राणायाम लंबे तक करवाया कि वे उसकी ऊष्मा को सहन नहीं कर सके और उनका मस्तिष्क अस्त-व्यस्त हो गया । वे पागल हो गए।
भस्त्रिका प्राणायाम को एक साथ लम्बे समय तक करना हानिकारक है । उसे एक दो मिनट करते-करते दस मिनट तक ले जाया जा सकता है । गृहस्थ के लिए इस कालमान से अधिक समय तक भस्त्रिका करना अनिष्टकारक है।
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