SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुंडलिनी-जागरण : अवबोध और प्रक्रिया (डॉ० टी० आर० भाटिया, व्याख्याता, एन० सी० ई० आर० टी०) दिल्ली से यहां जीवन विज्ञान के प्रशिक्षक, प्रशिक्षण शिविर के शिविरार्थियों के मनोवैज्ञानिक टेस्ट लेने तथा तथ्य संकलित करने के लिए आये। उन्होंने प्रवचन काल में कुछ प्रश्न उपस्थित किये | प्रश्नों के केन्द्र में 'कुंडलिनी' की बात थी । उनके प्रश्न ये हैं १. सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर का विज्ञान क्या है ? २. कुंडलिनी को जागृत करने के लिए क्या गुरुकृपा आवश्यक होती है या वह स्वतः जागृत हो जाती है ? ३. क्या कुंडलिनी जागृत हो जाए और कोई खतरा पैदा न हो, ऐसा देखा गया है ? कुछ लोगों ने कुंडलिनी को जगाने का प्रयास किया है और वे विक्षिप्त हो गये । इन खतरों से कैसे बचा जा सकता ४. कृष्ण ने अर्जुन की कुंडलिनी को जागृत कर उसका पथ-प्रदर्शन किया । रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद की कुंडलिनी जगाई। क्या ये वास्तविकताएं हैं अथवा सम्मोहन ? ५. प्राणायाम का कालमान क्या होना चाहिए ? 'अधिकस्य अधिकं फलं'-क्या यह इस पर लागू होता है ? सूक्ष्म शरीर : स्थूल शरीर हम जो कुछ जानते हैं वह सारा इन्द्रिय के माध्यम से जानते हैं | हमारे पास पांच इन्द्रियां, मन और बुद्धि है । इन्द्रियों के द्वारा जो जाना जाता है, जो संचित किया जाता है, उस सामग्री के आधार पर मन अपना काम चलाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003111
Book TitleMain Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy