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जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रायोगिक
लाभ :
पित्त विकार दूर करता है। प्यास बुझाता है। पित्त-विकार से उत्पन रोगों को शांत करता है। रक्तचाप उपशांत करता है। कांति, शांति और शीतलता को बढ़ाता है।
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४. भ्रामरी प्राणायाम भंवरे की तरह गुंजन होने से इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा गया है। भ्रामरी प्राणायाम नादानुसंधान की दृष्टि से उपयोगी हैं
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