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अन्तर्यात्रा अन्तर्मुख होने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय है अन्तर्यात्रा। पृष्ठरज्जु का प्रदेश ध्यान-साधना की दृष्टि से बहुत मूल्यवान है। योगशास्त्र के अनुसार
झा और पिंगला का प्राण-प्रवाह शरीर की सक्रियता का प्रवाह है। सुषुम्ना निष्क्रियता या निवृत्ति का प्राणप्रवाह है। एकाग्रता, सघन एकाग्रता और निर्विचारता—इन तीनों की साधना सुषुम्ना के प्राणप्रवाह की अवस्था में सम्यक प्रकार से हो सकती है।
०४ मार्च २०००
(भीतर की ओर)
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