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ठठठल
कायोत्सर्ग-[४] शरीर और मन परस्पर गुंथे हुए हैं। शरीर की चंचलता मन को चंचल बनाती है। मन की चंचलता शरीर को चंचल बनाती है।
शरीर और मन, इन दोनों में पहला स्थान शरीर का है। मन की सामग्री का ग्रहण और संग्रहण करने वाला शरीर है। जो व्यक्ति मन की चंचलता को कम करना चाहे, उसे सर्वप्रथम शरीर की स्थिरता को साधना जरूरी है। कायोत्सर्ग का एक अर्थ है स्थिरता।
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२४ फरवरी
२०००
भीतर की ओर
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