________________
फ्र तळवळकर
कायोत्सर्ग - [२]
शरीर के प्रत्येक अवयव में चेतना है, प्राण का प्रवाह है। चेतना है इसलिए प्रत्येक अवयव हमारे निर्देशों, सुझावों का पालन करता है। प्राण का प्रवाह है इसलिए प्रत्येक अवयव में क्रिया है, शक्ति है।
शरीर को शिथिल कर कायोत्सर्ग की स्थिति में जो सुझाव दिया जाता है वह शीघ्र क्रियान्वित हो जाता है। जिस अवयव पर ध्यान दिया जाता है, उसकी शक्ति बढ़ जाती है। कायोत्सर्ग शरीरप्रेक्षा की पूर्व अवस्था है। इस अवस्था में दिया जाने वाला सुझाव बहुत ही कार्यकारी होता है।
२२ फरवरी
२०००
भीतर की ओर
६६
1
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org