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कायोत्सर्ग-(१) कायोत्सर्ग का प्रयोग खड़े-खई, बैठे-बैठे और लेटे-लेटे--तीनों अवस्थाओं में किया जाता है। शयन अवस्था में किया जाने वाला कायोत्सर्ग दो प्रकार का होता है
१. उत्तानशयन २. पार्श्वशयन पार्श्वशयन कायोत्सर्ग दो प्रकार से किया जाता है
१. बाई करवट से लेटकर किया जाने वाला कायोत्सर्ग
२. दाई करवट से लेटकर किया जाने वाला कायोत्सर्ग।
उच्च रक्तचाप की स्थिति में दाएं पार्श्वशयन की मुद्रा में कायोत्सर्ग करना चाहिए।
निम्न रक्तचाप की स्थिति में बाएं पार्श्वशयन की मुद्रा में कायोत्सर्ग करना चाहिए।
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२१ फरवरी
२०००
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