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ठठळकळ
कायोत्कर्म की पांच भूमिकाएं कायोत्सर्ग के लिए दीर्घकालीन अभ्यास जरूरी है। अभ्यास की कालावधि के आधार पर कायोत्सर्ग की पांच भूमिकाएं बनती हैं
१. सुझाव (Auto-suggestion) पूर्ण एकाग्रता के साथ सुझाव देना।
२. प्राणशक्ति के प्रकम्पनों का अनुभव और प्राणशक्ति के प्रवाह का अनुभव।
३. शरीर और प्राणप्रवाह के भेद का अनुभव। तैजस शरीर या प्राणविद्युत का अनुभव।
४. कर्म शरीर के प्रकम्पनों का अनुभव। ५. शुद्ध चैतन्य का अनुभव।
२० फरवरी २०००
-भीतर की भोर
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को
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