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चतुरज कायोत्मार्ग कायोत्सर्ग का शाब्दिक अर्थ है काया का उत्सर्ग करना। बोलना, सोचना ये सब शरीर से जुड़े हुए हैं। इसलिए कायोत्सर्ग वाचिक और मानसिक भी होता है। इस आधार पर चतुरज कायोत्सर्ग की व्यवस्था की गई है
१. शारीरिक-शिथिलीकरण।
२. वाचिक-स्वरयन्त्र का शिथिलीकरण, कण्ठ का कायोत्सर्ग।
३. मानसिक-विचारप्रेक्षा।
४. भावात्मक-ममत्वविसर्जन 'मैं शरीर नहीं हुँ' इस भेदविज्ञान का अभ्यास।
१९ फरवरी
२०००
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