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अहम्-(४) 'अहम्' इस मंत्र के जप में 'ह' का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। पांच तत्त्वों में अंतिम तत्त्व है आकाश। उसका बीजमंत्र है 'ह'। योग विद्या के अनुसार अन्य वर्ण शरीर के नियत भाग को प्रभावित करते हैं। 'ह' का उच्चारण पूरे शरीर को प्रभावित करता है। आकाश तत्त्व का स्थान कण्ठ है। वही चयापचय (Matabolism) की क्रिया का स्थान है। जैसे चयापचय की क्रिया का पूरे शरीर से संबंध है वैसे ही हकार के उच्चारण का पूरे शरीर से संबंध है।
१६ फरवरी
२०००
(भीतर की ओर
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