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अहम्-(३) वर्ण की दृष्टि से समीक्षा करें
प्रथम अक्षर 'अ' है। इसका उच्चारण स्थान कण्ठ है। अभय का विकास करने के लिए इसका ध्यान बहुत उपयोगी है।
दूसरा अक्षर 'र' है। इसका आश्रय स्थान मर्धा है। तैजस विकास के लिए इसका ध्यान बहुत उपयोगी है।
तीसरा अक्षर 'ह' है। इसका भी विशुद्धि केन्द्र से संबंध है। यह महाप्राण वर्ण है। वृत्ति परिष्कार करने के लिए इसका ध्यान बहुत उपयोगी है।
अर्ह' बिन्दु से संयुक्त है इसका संबंध नासिका और मस्तक दोनों से है। मस्तिष्कीय विकास करने के लिए इसका ध्यान बहुत उपयोगी है।
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१५ फरवरी
२०००
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(भीतर की ओर
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