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திதி
राज्यठठक्क
अर्हम्-[१]
प्रेक्षाध्यान केवल एकाग्रता का प्रयोग ही नहीं है, वह जीवन का समग्र दर्शन है। उसमें ध्वनि, मंत्र आदि के विशेष प्रयोग भी करवाये जाते हैं। 'अर्हम्' उसका एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग है। 'ॐ' जैसे परमेष्ठी का वाचक है वैसे ही 'अर्हम्' भी परमेष्ठी का वाचक है। इससे ध्यान की शुद्धि होती है'एतेनाद्भुतमंत्रेण ध्यान शुद्धिः परा भवेत्' नासाग्र पर इसका ध्यान करना बहुत उपयोगी है। 'ॐ अर्ह संयुक्त रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
१३ फरवरी
२०००
भीतर की ओर
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