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सूक्ष्म ध्यान-(a) शरीर के जिस भाग में ध्यान केन्द्रित होता है उस भाग में प्राण का प्रवाह अधिक हो जाता है, स्पन्दन भी बढ़ जाते हैं। उन स्पन्दनों का अनुभव करना स्थूल से. सूक्ष्म की ओर जाना है।
पदस्थ ध्यान में ध्वनि प्रकम्पनों का अनुभव करना भी आवश्यक है। उसके लिए आवश्यक है वर्णों के उच्चारण और स्थान का बोध।
उच्चारण, स्थान का बोध केवल शब्द शास्त्र का विषय नहीं है, वह मंत्र शास्त्र व ध्यान शास्त्र का भी विषय है।
०१ फरवरी
२०००
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{ भीतर की ओर
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