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उकळवळ
सूक्ष्म ध्यान-(१) हमारी चेतना के असंख्य स्थान हैं। एक क्षण में हम एक पर्याय को ग्रहण करते हैं, दूसरे क्षण में दूसरे पर्याय को। ज्ञेय के नए-नए पर्याय और ज्ञान के भी नए-नए पर्याय। पहली बार हमने शक्ति केन्द्र पर ध्यान का प्रयोग किया तब एक पर्याय का अनुभव हुआ। दूसरी बार उसी केन्द्र पर ध्यान का प्रयोग करेंगे तब नए पर्याय का ग्रहण होगा। पूर्ववर्ती पर्याय और उत्तरवर्ती पर्याय के अंतर को समझना सूक्ष्म ध्यान का प्रयोग है।
३१ जनवरी २०००
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(भीतर की ओर
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