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ब्रह्मचर्य-(a) बह्मचर्य की साधना के लिए उत्तानशयन आसन में की जाने वाली कुछ क्रियाए बहुत उपयोगी हैं
१. कानों को कई से बन्द करें। २. दृष्टि नासाग्र पर टिकाएं।
३. दीर्घ श्वास के साथ-साथ श्वास-संयम करें।
भृकुटि नाटक खुली आंख से भृकुटि को देखें, इससे अपान पर प्राण का नियंत्रण होता है।
४. नासाग्र पर नाटक करें।
इसकी पांच आवृत्तियां करें। धीरे-धीरे बढ़ाएं। एक आवृत्ति में १५ से ३० सैकण्ड तक अभ्यास करें।
१५ नवम्बर
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२०००
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भीतर की ओर
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