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ब्रह्मचर्य-(३) ब्रह्मचर्य का संबंध भाव, मन और शरीर तीनों के साथ है। इसलिए उसकी साधना शारीरिक, मानसिक और भावात्मक तीनों स्तर पर करणीय है।
शारीरिक प्रयोग-१. कामवासना का विचार आए, तब दृष्टि को छत पर लगाकर ध्यान ऊपर की ओर ले जाएं।
२. निबंध से प्राणशक्ति ऊर्ध्वगामी होती है। ३. कण्ठ का कायोत्सर्ग।
मानसिक प्रयोग—१. मन की एकाग्रता के लिए दीर्घ श्वास का प्रयोग।
२. मनोबल के लिए नाड़ी शोधन का प्रयोग।
भावात्मक प्रयोग-विशुद्धिकेन्द्र की प्रेक्षा सवा घण्टा करें।
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१६ नवम्बर
२०००
__(भीतर की ओर )
(भीतर की ओर
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