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प्रेक्षाध्यान की तीन भूमिकाएं - [१]
प्रेक्षा की प्रथम भूमिका में शरीर प्रेक्षा की जाती है। यह ध्यान की पहली कक्षा है, जिसे धारणा कहा जा सकता है।
दूसरी भूमिका में प्रत्येक अवयव की प्रेक्षा दीर्घकाल तक की जाती है। यह ध्यान की दूसरी कक्षा है ।
तीसरी भूमिका में प्रत्येक अवयव की प्रेक्षा दीर्घतर काल तक की जाती है। यह गहन ध्यान की तीसरी कक्षा है ।
इस अभ्यास-क्रम से एकाग्रता को सघन किया जा सकता है और निर्विचार अवस्था तक पहुंचा जा सकता है ।
१६ जनवरी
२०००
भीतर की ओर
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