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स्थूल से सूक्ष्म की ओर-(२)
नए प्रस्थान की चर्चा करना सरल है, करना कठिन है। कठिनाई कृत नहीं है, स्वाभाविक है।
आवश्यकता की ओर ध्यान जाना सरल है। मूल्यों की ओर ध्यान जाना सरल नहीं है।
आवश्यकता का संबंध शरीर के साथ है। मूल्यों का संबंध व्यवहार के साथ है। व्यवहार शुद्धि की अनिवार्यता का अनुभव करना ही नया प्रस्थान है।
११ जनवरी
२०००
____(भीतर की ओर
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