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जीवन के प्रश्न सब लोग जीते हैं पर इन प्रश्नों पर बहुत कम लोग विचार करते हैं-वयों जीना है? कैसे जीना है? क्या इन प्रश्नों का विमर्श किए बिना अच्छा जीवन जीया जा सकता है? यदि जीया जा सकता है तो चिन्तन करने की आवश्यकता नहीं है। चिन्तन की अपेक्षा अचिन्तन की आवश्यकता अधिक है।
यदि इन प्रश्नों पर विचार किए बिना अच्छा जीवन जीया जा सके तो उन पर चिन्तन करना जरूरी है।
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०४ जनवरी
२०००
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(भीतर की ओर
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