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विशुद्धि केन्द्र इसका स्थान कण्ठ का मध्य भाग है। हठयोग में भी इसकी संज्ञा विशुद्धि चक्र है। तीन शक्ति केन्द्रों में यह सर्वोपरि है।
वृत्तियों के परिष्कार का यह बहूत बड़ा माध्यम है। इसे बुढ़ापे को रोकने वाला माना जाता है। शरीरशास्त्रीय दृष्टि से चयापचय की क्रिया का संबंध कण्ठमणि (थायरायड ग्लैण्ड) से है। वह विशुद्धि केन्द्र के परिपार्श्व में है। चयापचय की क्रिया का संतुलन वृद्धावस्था को रोकने में सहायक बन सकता है।
०७ अप्रैल २०००
(भीतर की ओर
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