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आनन्द केन्द्र हठयोग में इसे अनाहत चक्र करते हैं। आध्यात्मिक विकास का वास्तविक क्रम इसी केन्द्र से शुरू होता है। नीचे के तीनों केन्द्र परिष्कृत होने पर साधना में सहायक बनते हैं। शक्ति केन्द्र ऊर्जा का केन्द्र है। स्वास्थ्य केन्द्र वृत्तियों को उत्तेजित करने वाली मस्तिष्कीय चेतना का केन्द्र है। तैजस केन्द्र प्राण के उत्पादन का केन्द्र है। सामान्य सामाजिक जीवन की यात्रा के लिए ये तीनों कार्यकारी हैं। चेतना के उदात्तीकरण का आरम्भ बिन्दु आनन्द केन्द्र है।
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०६ अप्रैल २०००
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(भीतर की ओर
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