________________
बारहवां बोल
पांच इन्द्रियों के तेईस विषय १. श्रोत्रेन्द्रिय के तीन विषय हैं
१. जीव शब्द २. अजीव शब्द ३. मिश्र शब्द २. चक्षुरिन्द्रय के पांच विषय हैं
४. कृष्ण वर्ण ५. नील वर्ण ६. रक्त वर्ण ७. पीत वर्ण ८. श्वेत वर्ण ३. घ्राणेन्द्रिय के दो विषय हैं
६. सुगन्ध १०. दुर्गन्ध ४. रसनेन्द्रिय के पांच विषय हैं
११. अम्ल रस १२. मधुर रस १३. कटु रस १४. कषाय रस १५. तिक्त
रस
१. स्पर्शनेन्द्रिय के आठ विषय हैं
१६. शीत-स्पर्श १७. उष्ण-स्पर्श १८. क्ष-स्पर्श १६. स्निग्ध-स्पर्श २०. लघु-स्पर्श २१. गुरु-स्पर्श २२. मृदु-स्पर्श २३. कर्कश-स्पर्श ।
पांच इन्द्रियों के विषय, गोचर, कार्य-क्षेत्र या विहार-क्षेत्र तेईस हैं। संक्षेप में श्रोत्रेन्द्रिय का शब्द, चक्षुरिन्द्रिय का रूप, घ्राणेन्द्रिय का गंध, रसनेन्द्रिय का रस और स्पर्शनेन्द्रिय का स्पर्श--इस प्रकार प्रत्येक इन्द्रिय का एक-एक विषय है। विस्तार में इनके तेईस भेद हैं।
संसार के समस्त पदार्थ दो भागों में बांटे जा सकते हैं-मूर्त और अमूर्त। जिनमें वर्ण, गंध, रस और स्पर्श हों, वे हैं मूर्त और जिनमें वर्ण आदि न हों, वे हैं अमर्त। इन्द्रियों से केवल मूर्त पदार्थ ही जाने जा सकते हैं, अमूर्त नहीं। पांच इन्द्रियों के पांच विषय (या तेईस भेद) अलग-अलग वस्तु न होकर एक ही मूर्त द्रव्य के पर्याय हैं। जैसे--एक लड्डू है। उसको भिन्न-भिन्न रूपों से पांचो इन्द्रियां जानती हैं। अंगुली छूकर उसका शीत-उष्ण आदि स्पर्श जानती है। जीभ चखकर उसका खट्टा-मीठा आदि रस जान लेती है। नाक सूंघकर उसकी सुगंध या दुर्गन्ध की जानकारी कर लेती है। आंख देखकर उसका लाल-पीला आदि वर्ण जान लेती है। कान उस लड्डू को खाने से उत्पन्न होने वाले शब्दों को सुनने से, वह ताजा है या कई दिनों का है, जान लेता है। उस
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org