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जीव-अजीव
गुणस्थान को नहीं पहुंच पाता तब तक की उस मध्यवर्ती अवस्था का नाम सास्वादन-सम्यग्दृष्टि गुणस्थान है। फल वृक्ष से गिरता है परन्तु पृथ्वी को छू जाने के पहले की अवस्था के समान यह द्वितीय गुणस्थान है। ३. मिश्र गुणस्थान-यह आत्मा की सन्देह सहित दोलायमान अवस्था है। इसमें विचार-धारा निश्चित नहीं होती है। तत्त्व के प्रति दृष्टि मिश्रित होती है। सम्यक् है या असम्यक्-इस प्रकार संदेहशील होती है। इस दोलायमान अवस्था वाले व्यक्ति का गुणस्थान मिश्र गुणस्थान है। पहले गुणस्थान और इस गुणस्थान में यही भिन्नता है कि पहले-वाले की दृष्टि तत्त्व के प्रति एकांत रूप से मिथ्या होती है और इस गुणस्थान वाले की संदिग्ध होती है। ४. अविरत-सम्यग्दृष्टि गुणस्थान-जिसे सम्यग्दृष्टि प्राप्त हो किन्तु किसी प्रकार का व्रत नहीं हो, उस व्यक्ति के गुणस्थान को अविरत-सम्यग्दृष्टि गुणस्थान कहा जाता है। यह व्रत-रहित सम्यग-दर्शन की अवस्था है। सत्य के प्रति आस्था हो जाती है, परन्तु उसका आचरण करने की स्थिति नहीं बनती। आत्मा को उसी अवस्था में अपना भान होता है, देह भिन्न है और आत्मा भिन्न-ऐसा विवेक प्राप्त होता है। मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? मैं संसार में किसलिए पड़ा हूं? सांसारिक बंधनों से छूटने का उपाय क्या है? इत्यादि बातों पर आत्मा का चिंतन होने लगता है। मोक्ष की ओर अग्रसर होने की चेष्टा होने लगती है। अन्य दर्शन इस अवस्था हो आत्मदर्शन या आत्मसाक्षात्कार भी कहते हैं। ५. देशविरति गुणस्थान-जिस व्यक्ति के व्रत-अव्रत दोनों हों, पूर्ण व्रत न हों, उसके गुणस्थान को देशविरति या विरताविरत गुणस्थान कहा जाता है। इसे देशव्रती, संयतासंयती, व्रताव्रती और धर्माधर्मी गुणस्थान भी कहते हैं। इसमें सत्य का आचरण प्रारम्भ हो जाता है। ६. प्रमत्त-संयत गुणस्थान-प्रमादी साधु के गुणस्थान को प्रमत्त संयत गुणस्थान कहा जाता है। इसमें सत्य के आचरण का पूर्ण संकल्प होता है। जीवन त्यागमय, साधनामय बन जाता है। ७. अप्रमत्त-संयत गुणस्थान-अप्रमादी साधु के गुणस्थान को अप्रमत्त-संयत गुणस्थान कहा जाता है, इस अवस्था में प्रमाद (अनुत्साह) का अभाव होता है। अतः यह छठी अवस्था से भी अधिक विशुद्ध है। ८. निवृत्तिबादर-गुणस्थान-जिसमें स्थूल कषाय की निवृत्ति होती है (अर्थात् कषाय थोडे रूप में उपशांत या क्षीण होता है) उसे निवृत्तिबादर गुणस्थान कहा जाता है। इस अवस्था में आत्मा स्थूल रूप से कषायों (क्रोध, मान, माया,
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