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नौवां बोल
उपयोग बारह पांच ज्ञान
तीन अज्ञान १. मतिज्ञान
६. मति अज्ञान २. श्रुतज्ञान
७. श्रुत अज्ञान ३. अवधिज्ञान
८. विभंग अज्ञान ४. मनःपर्यवज्ञान
१. केवलज्ञान चार दर्शन ६. चक्षुःदर्शन
११. अवधिःदर्शन १०. अचक्षुःदर्शन
१२.केवल दर्शन ज्ञान
उपयोग शब्द का अर्थ है--काम में लाना। ज्ञान एवं दर्शन को काम में लाने का नाम उपयोग है। जानना आत्मा का गुण है। वस्तुओं में दो मुख्य धर्म होते हैं--एकाकारता और भिन्नाकारता । हम एकाकारता से पदार्थों को जानते हैं। उस जानने को दर्शन या सामान्य बोध कहते हैं। भिन्नाकारता से जानने को ज्ञान या साकार-बोध कहते हैं--जैसे हम एक परिषद् या एक बाग को देखते हैं, वह हमारा सामान्य बोध (दर्शन) है और उसके बाद जब हम उसके भिन्न-भिन्न व्यक्ति एवं वृक्षों को जानते हैं, वह हमारा विशेष बोध (ज्ञान) है। अथवा यों समझिए कि हमारे ज्ञान के मुख्य विषय दो हैं-सामान्य और विशेष । विशेष की उपेक्षा कर सामान्य का ज्ञान करना दर्शन है और सामान्य की उपेक्षा कर विशेष का ज्ञान करना ज्ञान है।
ज्ञान के पांच प्रकार हैं-मति, श्रुति, अवधि, मनःपर्यव और केवल। १. मतिज्ञान-इन्द्रिय और मन की सहायता से होने वाला वर्तमान कालवर्ती ज्ञान मतिज्ञान है। उसके चार प्रकार हैं :
१. अवग्रह २. ईहा ३. अवाय ४. धारणा अवग्रह-विषय (जेय वस्तु) और विषयी (जानने वाले) का योग सामीप्य या
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