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४. तेजोलेश्या - हिंगुल के समान रक्त और पके आम के रस से अनन्तगुण मधुर पुद्गलों के संयोग से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह तेजोलेश्या है। ५. पद्मलेश्या - हल्दी के समान नीले तथा मधु से अनन्तगुण मिष्ट पुद्गलों के संयोग से आत्मा का जो परिणाम होता है, वह पद्मलेश्या है।
६. शुक्ललेश्या - शंख के समान श्वेत और मिसरी से अनन्तगुण मीठे पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा का जो परिणाम होता है, वह शुक्लेश्या है ।
इन लेश्याओं के लक्षण इस प्रकार हैं :
मानसिक, वाचिक एवं कायिक क्रियाओं में असंयम रखना, बिना सोचे-समझे काम करना, क्रूर व्यवहार करना आदि कृष्ण लेश्या के परिणाम हैं ।
कपट करना, निर्लज्ज होना, स्वाद -लोलुप होना, पौद्गलिक सुखों की खोज करना आदि नीललेश्या के परिणाम हैं।
कार्य करने एवं बोलने में वक्रता रखना, दूसरों को कष्ट देनेवाली भाषा बोलना आदि कापोतलेश्या के परिणाम हैं।
ममत्व से दूर रहना, धर्म पर रुचि रखना आदि तेजोलेश्या के परिणाम
हैं।
क्रोध न करना, मितभाषी होना, इन्द्रिय-विजय करना आदि पद्मलेश्या के परिणाम हैं।
जीव-अजीव
राग-द्वेष-रहित होना, आत्मलीन होना आदि शुक्ललेश्या के परिणाम हैं।
लेश्या -यंत्र
गंध
लेश्या वर्ण
रस
कृष्ण काजल समान नीम से अनन्तगुण
काला
कटु
नील नीलम के समान सौंठ से अनन्तगुण मृत सर्प की गंध से गाय की जीभ से नीला तीक्ष्ण अनन्तगुण अनिष्ट गन्ध अनन्तगुण कर्कश कापत कबूतर के गले के कच्चे आम के रस से समान रंग अनन्त-गुण कषैला
पदम् हल्दी के | पीला शुक्ल शंख के सफेद
स्पर्श
तेजस् हिंगुल (सिंदूर) के पके आम के रस से
समान रक्त
| अनन्त - गुण मधुर
समान मधु से अनन्त - गुण सुरभी कुसुम की गंध से नवनीत (मक्खन) मे | मिष्ट अनन्तगुण इष्ट गंध अमन्तगुण सुकुमार समान मिसरी से अनन्तगुण
मिष्ट
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