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कैसे सोचें ?
यह अवरोध लगा हुआ है, बेचारे रक्त कणों की कितनी बड़ी कतार लगी हुई है कि उसे पार कराने में भी आपको दिन लग जायेंगे।
जब तक पूरा श्रम शरीर को नहीं मिलता, रोग समाप्त नहीं होते, हमारे रक्त की प्रणालियां स्पष्ट नहीं होती, स्वास्थ्य उपलब्ध नहीं होता। सचमुच शरीर को श्रम चाहिए। श्रम बहुत आवश्यक है। कोई श्रम न कर सके तो शायद योगासन का आलम्बन लेना पड़ सकता है। योगासन के द्वारा शरीर को भी स्वास्थ्य मिलता है। श्रम हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक
स्वतंत्रता, स्वावलम्बन और पुरुषार्थ पर विश्वास-ये व्यक्ति की तीन वैयक्तित आवश्यकताएं हैं। व्यक्ति की तीन सीमाएं हैं, जो व्यक्ति को अलग व्यक्तित्व प्रदान करती हैं।
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