________________
हृदय परिवर्तन के प्रयोग
१६१
करता है, जिसकी चेतना किसी एक निमित्त से जागृत हो जाती है । वह राजा बना । वह गो- प्रिय था। एक बार वह गोकुल में गया। उसने एक पतले-दुबले बछड़े को देखा। उसका मन दया से भर गया । उसने आज्ञा दी कि इस बछड़े को उसकी मां-गाय का सारा दूध पिलाया जाये । और जब वह बड़ा हो जाए तो दूसरी गायों का दूध भी इसे पिलाया जाए । गोकुलरक्षक ने वैसा ही करना प्रारम्भ कर दिया ।
बछड़ा सुखपूर्वक बढ़ने लगा । वह युवा हुआ। वह हृष्ट-पुष्ट और विशाल स्कन्ध वाला बैल बन गया। उसके सींग सुन्दर थे । सारे अवयव प्रमाणोपेत थे। वह ऐसा लगता मानो कि स्फूर्ति का प्रतिबिम्ब हो । राजा ने उसको देखा। वह बहुत प्रसन्न हुआ । अब राजा प्रतिदिन गोकुल में जाता और एकटक उस बैल को देखता रहता । इससे उसका मन आनन्द से भर जाता । यह क्रम लम्बे समय तक चलता रहा ।
कुछ समय बीता । राजा कहीं अन्यत्र चला गया था । वर्षों बाद आया । आते ही उसे बैल की स्मृति हो आयी । वह सीधा गोकुल में पहुंचा। उसने गोकुलरक्षक से पूछा- वह वृषभ कहां है ? उसने कहा - महाराज ! आपके सामने जो बैल बैठा है, वही वह वृषभ है । राजा ने सुना । वह अवाक् रह गया। अरे! ये कैसे ? इतना दुबला हो गया ? इतना बूढ़ा हो गया ? इसकी आंखें अन्दर गड़ी जा रही हैं, पैर लड़खड़ा रहे हैं । यह छोटे-बड़े अन्य बैलों का संघट्टन सह रहा है । राजा ने सोचा, कितना हृष्ट-पुष्ट था यह ! इसके कंधे कितने बलिष्ठ थे ? इसके विषाण कितने सुन्दर थे ! कहां गया इसका बल ? कहां गई इसकी सुन्दरता ? क्या मुझे भी बूढ़ा होना पड़ेगा ? क्या बूढ़ा होने पर मेरी भी यही अवस्था होगी ? इस चिन्तन से राजा का मन वैराग्य से भर गया। वह सीधा राजमहल में आया, राज्य का परित्याग कर उसने मुनि-जीवन के लिए तत्काल प्रस्थान कर दिया ।
बूढ़े बैलों को कौन नहीं देखता ? क्या उन्हें देखकर कोई मुनि - जीवन के लिए प्रस्थान कर देता है ? यदि बूढ़े बैल को देखने मात्र से मुनि बनने की या बूढ़ा न होने की चेतना जाग जाए तो शायद आज साधु ही साधु मिलते, गृहस्थ नहीं मिलते। बूढ़ा बैल राजा करकंडु की चेतना के परिवर्तन का निमित्त बना, पर सबके लिए यह निमित्त चेतना के परिवर्तन का घटक नहीं बन सकता। किसी के लिए यह निमित्त रूपान्तरण का घटक बन जाता है और किसी के लिए नहीं बनता ।
थावच्चापुत्र अपनी मां के पास बैठा था । पड़ोस में बाजे उसने सुना। मां से पूछा- 'मां ! ये बाजे क्यों बज रहे हैं ?' मां ने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
बज रहे थे । कहा- '
- 'बेटा!
www.jainelibrary.org