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प्रतिक्रिया से कैसे बचें ? (२)
हो सकते हैं, किन्तु हीरे के सहारे कभी मनोबल उपलब्ध नहीं हो सकता। कभी धन के आधार पर किसी ने मनोबल पाया हो ऐसा लगा नहीं।
एक कहानी है बहुत महत्त्वपूर्ण। एक सेनापति बड़ा उदास बैठा था। बहुत उदास, चिंतातुर । पत्नी आई, पूछा, आज आप इतने उदास क्यों हैं ? यह स्थिति क्यों ? वह बोला-'क्या करूं। बहुत बुरा समाचार है। मेरी सेना हारती जा रही है।' उसने कहा, मुझे भी एक बुरा समाचार मिला है, इससे भी ज्यादा बुरा । वह देखता रह गया। ऐसा क्या बुरा समाचार मिला है। बड़ी जिज्ञासा के साथ पूछा कि तुम्हें क्या बुरा समाचार मिला है ? उसने कहा, क्या बताऊं, आपके समाचार से भी हजार गुना बुरा समाचार है कि मेरे पति का साहस टूट गया। यह उससे भी बुरा समाचार है।
तत्काल वह खड़ा हो गया। एक शब्द ने करारी चोट की। निराश बैठा था, उदास बैठा था, खड़ा हुआ, युद्ध में गया और इतनी वीरता के साथ लड़ा कि हारती-हारती सेना फिर जीतने लगी।
सबसे बुरी बात होती है मनोबल का टूट जाना, मनोबल का क्षीण हो जाना, इसके क्षीण होने पर सारी बुराइयां आ जाती हैं। और यदि मनोबल होता है तो बुरे दिन भी अच्छे दिन की भांति बीत जाते हैं।
प्रज्ञा का सबसे बड़ा काम है-मनोबल का विकास करना। यह ध्यान की प्रक्रिया केवल आंख मूंदकर बैठने की प्रक्रिया नहीं है। यह आराम करने की प्रक्रिया नहीं है। यह शक्ति के विकास की प्रक्रिया है। बल के संवर्धन की प्रक्रिया है। जिस ध्यान के प्रयोग से मनोबल नहीं बढ़ता, शरीर का बल नहीं बढ़ता तो समझ लेना चाहिए ध्यान के नाम पर कुछ और ही किया जा रहा है। जिस भोजन से शक्ति नहीं बढ़ी तो समझना चाहिए कि भोजन नहीं कुछ और ही खाया जा रहा है। टोनिक का सेवन करते हैं, शक्तिशाली दवा का प्रयोग करते हैं पर शक्ति नहीं बढ़ रही है तो समझ लेना चाहिए कि टोनिक के नाम पर कुछ और ही लिया जा रहा है। ध्यान का सबसे बड़ा उपयोग होता है-शक्ति का संवर्धन । तीन बातें बढ़नी चाहिए-चेतना का विकास, आनंद का विकास और शक्ति का विकास। ये तीन विकास हो रहे हैं तो समझना चाहिए कि ध्यान चल रहा है। और ये तीनों बातें नहीं हो रही हैं तो समझना चाहिए ध्यान के नाम पर नींद का प्रयोग चल रहा है। कुछ और ही चल रहा है।
अहिंसा की चर्चा हो रही है, प्रतिक्रिया-विरति की चर्चा हो रही है। क्या कमजोर आदमी प्रतिक्रिया-विरति का पाठ पढ़ सकेगा ? क्या कमजोर आदमी प्रतिक्रिया विरति से बच सकेगा ? जो जितना कमजोर होता है उतना ही जल्दी
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