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________________ ८६ तमसो मा ज्योतिर्गमय पूर्वक अपने दोषों-दुर्गुणों को खदेड़ देना, तप-त्याग एवं संयम द्वारा आत्मशुद्धि करना, तभी सम्भव है, जब व्यक्ति अटट धैर्य और अदम्य साहस तथा उत्कृष्टता के प्रति असीम श्रद्धा रख कर चले । प्रतिदिन के आँधीतूफानों से तथा उत्ताल ज्वार-भाटों से आत्मनिष्ठा के दीपक को न बुझने देकर अपनी जीवन नैया को सकुशल खेकर अपने गन्तव्य तक ले जाने की तरह यह अत्यन्त दुष्कर है। यह भवबन्धनों की लोह-शृंखला को अपने मजबूत इरादों, बुलंद होंसलों एवं प्रबल साहस से काटने जैसी कठिन प्रक्रिया है । मानवीय उत्कृष्टता को प्राप्त करने की ललक तो बहुत से लोगों में होती है, परन्तु उसे पूर्ण कर पाने की सफलता तो आत्मबल-संपन्न धीर-वीर को ही मिलती है । आत्मिक प्रगति के लिए परम्परा से आत्मबल आवश्यक जिस प्रकार भौतिक बलों से भौतिक साधन मिलते हैं, उसी प्रकार आत्मिक बल से आत्मिक प्रगति के साधन मिलते हैं। संसार में लोकबन्ध एवं विश्वपूज्य व आत्मवादी साधक आत्मबल के सहारे से ही बनते हैं, बने हैं । प्रायः प्रत्येक क्षेत्र में यह सिद्धान्त लागू होता है कि बल से साधन और साधन से सफलता मिलती है । आत्मिक प्रगति के लिए भी आत्मबल सम्पादित करना और आत्मबल से साधन उपलब्ध करना आवश्यक है। उसके सहारे से देवों को भी झुकाया जा सकता है । और स्वतः सहयोग के लिए भी बाध्य किया जा सकता है । दर्शवकालिक सूत्र में इसी तथ्य को अनावृत किया गया है __"देवा वि तं नमसंति, जस्स धम्मे सया मणो।' "जिसका मन सदैव आत्म धर्म में लीन रहता है, उसे देवता भी नमन करते हैं।" __ यदि आत्मबल एवं आत्मधर्म में निष्ठा रखने के बदले देवताओं के आगे गिड़गिड़ाने और उन्हें रिझाने, फुसलाने की नीति अपनाई जाए तो न तो देवों को झुकाया-मनाया जा सकता है और न ही आत्मिक क्षेत्र की महान उपलब्धियाँ अजित की जा सकती हैं । महा-मानवों की या महासाधकों की जीवन गाथाओं पर दृष्टिपात करने से एक बात स्पष्ट प्रतीत होती है, कि उनमें से कोई भी जन्मजात या परम्परागत अनुकूलताएँ लेकर १ दशवैकालिक सूत्र अ. १ गा. १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003091
Book TitleTamso ma Jyotirgamayo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1991
Total Pages246
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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