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आत्मबल : सर्वतोमुखी सामर्थ्य का मूल ८५ तृष्णा का दमन कर सकता है, अंकुश लगा सकता है तथा मितव्ययी एवं यथालाभ-संतोषी जीवन क्रम अपना सकता है, अहंलिप्सा, आत्मप्रशंसा एवं प्रतिष्ठा को तिलांजलि दे सकता है तथा दूसरों के हित एवं कल्याण के लिए स्वयं को बादल की तरह निचोड़ सकता है, किसी के कुम्हलाये हुए पौधे को नवजीवन दे सकने में समर्थ हो सकता है, वही आत्मबल का धनी है । लौकिक लोगों का जीवन प्रवाह रूढ़ियों में, कुप्रथाओं, कुरीतियों और कूटेबों की दिशा में बहता है, किन्तु आत्मबली साधक आत्मनिष्ठ होकर ठीक उससे विपरीत दिशा में अपनी जीवन नैया को खेता हुआ चला जाता है । वह अनुस्रोतगामी न होकर प्रतिस्रोतगामी होता है। हाथी जैसे विशालकाय प्राणी जिस प्रकार नदी-प्रवाह में बहते चले जाते हैं, इसी प्रकार बड़े-बड़े सत्ताधारी, धनाढ्य, उच्चपदस्थ, व्यक्ति तक प्रवाह की दिशा में बहते चलते हैं। मछलो की तरह प्रवाह से विपरीत दिशा में चलने की साहसिकता निःसन्देह असाधारण होती है, वह आत्मवली में ही हो सकती है । परमार्थ-प्रयोजनों में सच्चे मन से लग सकना उसी के लिए सम्भव हो सकता है, जो बाह्य जीवन में श्रेय एवं सहयोग पाने के लिए स्वयं को गलाता है, स्वयं कष्ट सह कर दूसरों को जिलाता है। समाज को सही दिशा में मोड़ने के लिए जो अद्भुत शौर्य और साहस प्रदर्शित कर सकते हैं, युग की समस्याओं को सुलझाते हैं ऐसे ऐतिहासिक महामानव अपनी प्रतिकूल परिस्थिति को मनःस्थिति से अनुकूल बना पाते हैं, वे ही आत्मशक्ति-सम्पन्न पुरुष हैं । आदर्शवाद के मार्ग पर चलना लोकमान्यता के अनुसार घाटे का काम है। भृगापुत्र के पिता के समान तथाकथित स्वजन सम्बन्धी एक स्वर से स्व-पर-कल्याण, आत्मनिष्ठा, समाजसेवा, परोपकार-परायणता, तप-त्याग या संयम की ओर कदम बढ़ाने से चित्रविचित्र तर्क-वितर्क गढ़ कर रोकते हैं । शत्रुओं का प्रतिरोध सरल है, किन्तु स्वजनों के आग्रह को सुना-अनसुना करने वाली एकाग्र आदर्श-निष्ठा का परिचय दे सकना प्रचण्ड आत्मबली का कार्य है। इस अग्नि-परीक्षा में सफलता पाना आत्मबल के बिना सम्भव नहीं है। आन्तरिक प्रलोभनों और भ्रान्त करने वाली विभीषिकाओं तथा परिजनों के आग्रहों को ठकरा कर प्रचण्ड आदर्शवाद या स्वनिर्धारित लक्ष्य के प्रति गमन आमिबल के आश्रय से ही हो सकता है । स्वजनों एवं स्नेहीजनों को मोह शृंखला को तोड़ डालना आत्मबली का ही कार्य है। अपने व्यक्तित्व का परिष्कार अपने प्रति कठोर और दूसरों के प्रति कोमल बनने, निर्मोहत्व-निर्ममत्व
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