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मानसिक शान्ति के मूलसूत्र
जीवन रूपी गाड़ी के लिए स्वस्थ मन अनिवार्य
हमारे जीवन के शारीरिक, वाचिक एवं बौद्धिक कार्य-कलापों का बहुत कुछ आधार हमारा मन है । मन की ही प्रेरणा से शरीर, इन्द्रियाँ, वाणी, बुद्धि आदि सब कार्य करते हैं । जिस प्रकार मोटर, इंजिन या मशीन ड्राइवर की प्रेरणा पर चलती है, उसी प्रकार हमारी जीवनरूपी गाड़ी मनरूपी ड्राइवर की प्रेरणा से चलती है। कुशल एवं स्वस्थ ड्राइवर गाड़ी को मंजिल तक सही सलामत पहुँचा देता है, उसी प्रकार कुशल एव स्वस्थ मन जीवन रूपी गाड़ी को लक्ष्य तक सही सलामत पहुँचा देता है । अनाड़ी और अस्वस्थ ड्राइवर गाड़ी को कहीं भी दुर्घटनाग्रस्त कर सकता है, उसी प्रकार असंतुलित, अस्वस्थ एवं अनाड़ी मन जीवन नैया को मझधार में डुबा देता है- तोड़फोड़ देता है । अतः मानसिक शान्ति, स्वस्थता एवं संतुलन जीवन की सफलता एवं लक्ष्य तक सही-सलामत पहुँचने के लिए अनिवार्य है । इसके बिना जीवन बिना पतवार की नौका है, बिना ब्र ेक गाड़ी है, अथवा बिना लगाम का घोड़ा है ।
स्वस्थ एवं सशक्त मन के लिए स्वस्थ तन आवश्यक
स्वस्थ एवं सशक्त, अथवा शान्त एवं सन्तुलित मन के लिए सर्वप्रथम स्वस्थ तन होना आवश्यक है । यह निर्विवाद है कि अस्वस्थ शरीर में मन:शक्ति के प्रकट होने की आशा नहीं की जा सकती। अंग्रेजी में एक कहावत है
'Sound mind in a sound body'
'सशक्त शरीर में ही सशक्त मन का निवास है ।'
अस्वस्थ शरीर अपार मनोबल को धारण नहीं कर सकता । छिद्र
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