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सर्वतोमुखी आत्मविकास का उपाय : तप
आत्मशुद्धि का सर्वश्रेष्ठ उपाय : तप
मनुष्य अपने शरीर को स्वच्छ एवं साफ करने के लिए साबुन, पानी आदि से मल-मल कर नहाता है । वस्त्र को स्वच्छ करने के लिए सोड़ा, साबुन, पानी आदि का प्रयोग करता है। बर्तन साफ करने के लिए राख, मिट्टी आदि का प्रयोग करता है। मकान की सफाई के लिए झाडू, ब्रश, कपड़े आदि का प्रयोग करता है । परन्तु आत्मा की सफाई अर्थात् - शुद्धि के लिए, यानी आत्मा पर जमे हुए कषायों, राग-द्व ेष, मोह, मत्सर, मद आदि विकारों या विषय-वासनाओं आदि के तथा कर्म, कुसंस्कार आदि के मैल एवं आवरणों को दूर करने के लिए कौन-सा सर्वश्रेष्ठ उपाय है ?
भारत ही नहीं, संसार के समस्त अध्यात्मवादो मनीषियों ने तप को ही आत्मशुद्धि का सर्वोत्कृष्ट उपाय बताया है । आत्मा पर राग-द्वेषादि विकारों के कारण लगे हुए कर्मों के मैल को साफ करने में तपश्चर्या ही उपयोगी साधन है । मनुस्मृति में स्पष्ट कहा है
"अभिर्गात्राणि शुद्ध यन्ति, मनः सत्येन शुद्ध यति । विद्या- तपोभ्यां भूतात्मा, बुद्धिर्ज्ञानेन शुद्ध यति ॥ "
" शरीर जल से और मन सत्य से शुद्ध होता है, बुद्धि ज्ञान से शुद्ध (परिष्कृत) होतो है, जबकि आत्मा विद्या और तप से शुद्ध होती है ।"
इतना ही नहीं, तपस्या से तन और मन दोनों शुद्ध-परिष्कृत होते हैं। शरीर में मल एवं रक्त का अवरोध, चर्बी के जमा होने आदि विकारों के कारण नाना व्याधियाँ मनुष्य को घेर लेती हैं । इसी प्रकार मन में
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