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________________ २०२ तमसो मा ज्योतिर्गमय अनाज खाने में असंख्य जीवों का संहार हो जाएगा, इसलिए अच्छा तो यही है कि हम जंगल में ही किसी हाथी जैसे स्थूलकाय एक जीव को मार लें, जिसे हम भी खाएँ और दूसरों को भी खिलाएँ। ऐसा करने से सिर्फ एक जीव की हिंसा होगी, हिंसा की मात्रा भी कम होगी और यह आहार कई दिनों तक चल सकेगा। इस प्रकार सुविधानुसार कई दिन तक वे उसे खाते रहते थे। मैं आपसे पूछता हूँ, क्या हस्तितापसों का ऐसा विचार सही था ? आप कहेंगे कि नहीं, यह तो बिलकुल अटपटा सिद्धान्त है, किसी भी तरह गले ही नहीं उतरता यह ! सचमुच यह सिद्धान्त गलत था इसीलिए भगवान महावीर ने हस्तितापसों की इस मान्यता को गलत बताया है । कदापि ऐसा मत समझो कि वनस्पति में जीवों की संख्या अधिक है तो हिंसा अधिक होगी और हाथी या बकरे जैसे एक जीव को मार कर खाया तो उससे हिंसा कम होती है। हिंसा की न्यूनाधिकता का आधार हिंस्य जीवों के शरीर, प्राण और चेतना का विकास तथा हिंसाकर्ता की तीव्र, मध्यम, मन्द भावना है। जिसजिस जीव में शरीर की रचना, प्राण और चैतन्य के विकास की मात्रा जितनी-जितनी अधिक होती है, हिंसक के भावों में तीव्रता, तीव्रतरता प्रायः उत्तरोत्तर अधिक होती जाती है, इसलिए उसी हिसाब से हिंसा की मात्रा उत्तरोत्तर अधिक मानी जाएगी। क्या एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय की चेतना और सुख-दुःख का संवेदन समान है ? जैनशास्त्र ही नहीं, वैदिक धर्मग्रन्थ भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि गेहूँ आदि अनाज या वनस्पति आदि एकेन्द्रिय जीव अव्यक्त चेतना वाले जीव हैं; और बकरा, हाथी आदि स्पष्टतः पंचेन्द्रिय और व्यक्त चेतना वाले जीव हैं। गेहूँ आदि पैदा करने वाले की नीयत किसी जीव को मारने की नहीं होती, स्वयं आयुष्य पूर्ण होने से मर जाय, यह बात दूसरी है। गेहूँ पीसने वाले या वनस्पति के खाने वाले के परिणाम क्र र, तीव्र तथा घातक नहीं होते । उस समय मन में उग्र घृणा और द्वेषभाव नहीं पैदा होते, बहुसत्त्वघातजनिताद्, वरमेकं सत्त्वघातोत्थम् । इत्याकलप्य कार्य, न महासत्त्वस्य हिंसनं जातु ॥ . -पुरुषार्थसिद्धयुपाय ४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003091
Book TitleTamso ma Jyotirgamayo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1991
Total Pages246
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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