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४ तमसो मा ज्योतिर्गमय है । व्यक्ति पूजा नहीं किन्तु गुण पूजा को महत्त्व दिया गया है । यह कितनी विराट और भव्य भावना है।
प्राचीन ग्रन्थों में नमोक्कार महामन्त्र को पंच परमेष्ठी मंत्र भी कहा है। परमे तिष्ठतीति' अर्थात् जो आत्माएँ परमे - शुद्ध, पवित्र स्वरूप में, वोतराग भाव में 'ष्ठी' रहते हैं-वे परमेष्ठी हैं। आध्यात्मिक उत्क्रान्ति करने के कारण अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु ही पंच परमेष्ठी हैं। यही कारण है कि भौतिक दृष्टि से चरम उत्कर्ष को प्राप्त करने वाले चक्रवर्ती सम्राट और देवेन्द्र भी इनके चरणों में झुकते हैं। त्याग के प्रतिनिधि ये पंच परमेष्ठी हैं। पंच परमेष्ठी में सर्वप्रथम अरिहन्त हैं। जिन्होंने पूर्ण रूप से सदा सर्वदा के लिए राग-द्वेष को नष्ट कर दिया है, वे अरिहन्त हैं, जो अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त चारित्र और अनन्त शक्ति रूप वीर्य के धारक होते हैं, सम्पूर्ण विश्व के ज्ञाता/द्रष्टा होते हैं, जो सुख-दुख, हानिलाभ, जीवन-मरण, प्रभृति विरोधी द्वन्द्वों में सदा सम रहते हैं। तीर्थंकर और दूसरे अरिहन्तों में आत्म-विकास की दृष्टि से कुछ भी अन्तर नहीं है ।
दूसरा पद सिद्ध का है । सिद्ध का अर्थ पूर्ण है। जो द्रव्य और भाव दोनों ही प्रकार के कर्मों से अलिप्त होकर निराकुल आनन्दमय शुद्ध स्वभाव में परिणत हो गए, वे सिद्ध हैं । यह पूर्ण मुक्त दशा है। यहाँ पर न कर्म है, न कर्म बन्धन के कारण ही हैं। कर्म और कर्म बन्ध के अभाव के कारण आत्मा वहाँ से पुनः लौटकर नहीं आता । वह लोक के अग्रभाग में ही अवस्थित रहता है। वहाँ केवल विशुद्ध आत्मा ही आत्मा है। पर-द्रव्य और पर-परिणति का पूर्ण अभाव है। यह विदेहमुक्त अवस्था है। यह आत्मविश्वास की अन्तिम कोटि है। दूसरे पद में उस परम विशुद्ध आत्मा को नमस्कार किया गया है।
तृतीय पद में आचार्य को नमस्कार किया गया है। आचार्य धर्म संघ का नायक है । वह संघ का संचालनकर्ता है, साधकों के जीवन का निर्माण कर्ता है। जो साधक संयम साधना से भटक जाते हैं, उन्हें आचार्य सही मार्गदर्शन देता है । योग्य प्रायश्चित्त देकर उसकी संशुद्धि करता है । वह दीपक की तरह स्वयं ज्योतिर्मान होता है और दूसरों को ज्योति प्रदान करता है।
चतुर्थ पद में उपाध्याय को नमस्कार किया गया है । उपाध्याय ज्ञान का अधिष्ठाता होता है। वह स्वयं ज्ञानाराधना करता है और साथ ही सभी को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है । पापाचार से विरक्त होने के
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