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साहस की विजय-भेरी १२५ साहसी को आदर और सहायक मिलते हैं
___ वास्तव में, साहस ही आध्यात्मिक ज्ञाता-द्रष्टा पुरुषों का सम्बल होता है। जो व्यक्ति साहसी होते हैं, वे दुःख के समय शांत और गम्भीर रहते हैं । साहसी व्यक्ति के प्रति सभी लोगों के मन में श्रद्धा और आदर की भावना पैदा होती है। आपत्तियाँ किस पर नहीं आती? महापुरुषों का जीवन तो आपत्तियों और प्रतिकुलताओं से संघर्ष करने में ही प्रायः व्यतीत होता है। वे उसमें साहस और धैर्य के साथ उत्तीर्ण होकर अपनी छाप इतिहास में छोड़ जाते हैं। साहस ही उनके व्यक्तित्व को उस चुम्बकीय शक्ति से सम्पन्न कर देता है, जिसके कारण साधनों और सहायकों के लोहकण खिंचते चल आते हैं। जिन महान् व्यक्तियों ने आज तक महत्वपूर्ण कार्य किये हैं, उन्हें हर कदम पर प्राणसंकट सहने पड़े हैं, परन्तु उनके साहस ने ही उन्हें सकटों से मुक्ति दिलाई है । साहस-विहीन व्यक्तियों का जीवन घाटे में
इसके विपरीत दुःख उपस्थित होते ही जो लोग उद्विग्न एवं आकुलव्याकुल हो उठते हैं, अधीर हो जाते हैं, ऐसे कायर व्यक्ति विपत्तियों के प्रहार से तो क्षतिग्रस्त होते ही हैं, साथ ही उस क्षति से उनका भय अधिक बढ़ जाता है, उनके मनोबल में और कमी आ जाती है तथा सभी ओर से वे घाटे में ही रहते हैं। विपत्ति के समय चीखने-चिल्लाने वाले मुख्यतया दयनीय समझे जाते हैं। अधिक रोने-धोने वालों को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं । अतः साहसहीन व्यक्ति के जीवन में न तो उष्मा होती है और न गरिमा । उसका जीवन असफल और हारा हुआ होता है । साहस ही व्यक्ति को परम समर्थ बनाता है। ___जो व्यक्ति साहस खो देता है, उसमें अपेक्षित सूझबूझ, बुद्धिकौशल और मनोबल ही गायब हो जाते हैं । उपलब्ध साधनों के उपयोग की ओर उसका ध्यान ही नहीं जाता । साहसी व्यक्ति का बुद्धिकौशल, सूझबूझ और मनोबल बढ़ जाता है । वह संकटों के निवारण और विपत्तियों के प्रतिकार में प्रायः सफल हो जाता है । साथ ही भविष्य की निराशाजनक सम्भावनाएं, असफलता की आशंकाएँ, डरावनी कल्पनाएँ तथा अपनी अयोग्यता और दुर्भाग्य पीडित होने की मान्यताएँ ऐसी हैं, जो भारी-भरकम चट्टान बनकर व्यक्तित्व को उभरने से रोकती हैं। इन कुकल्पनाओं के कचरे को हटाने में साहस का अन्धड़ ही समर्थ होता है ।
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