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६ धन-धान्य आदि से परिपूर्ण यह समूचा लोक भी किसी एक मनुष्य को दे दिया जाए तो भी वह सन्तुष्ट नहीं होता। इतनी दुष्पूर है यह आत्मा।
-उत्तराध्ययन १० देव शक्तियां जगत् की रक्षा चरवाहों के हथियार लाठी से
नहीं करतीं। उन्हें जिसकी रक्षा करनी होती है, उसे बुद्धि दे देती है।
-नीतिकल्प ११ दु:ख के बाद मिला सुख अधिक आनंद देता है। धूप में तो . पथिक को ही वृक्ष की छाया विशेष सुख देती है।
-विक्रमोर्वशीय १२ सच्चे संयमी वही हैं जो प्रलोभन होते हुए भी नहीं फिसलते।
-कुमारसंभव १३ वाणी से निकले एक असंयत शब्द को एक रथ और चार घोड़े भी वापिस नहीं ला सकते।
-चीनी कहावत
योगक्षेम-सूत्र
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