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________________ १ वह कौनसा कठिन कार्य है, जिसे धैर्यवान मनुष्य संपन्न नहीं कर सकता । झलकियां - बृहत्कल्प भाष्य २ वाणी के दुष्प्रयोग से जो घाव हो जाता है वह बहुत ही भयंकर होता है और भरता नहीं है । -महाभारत ३ वह दान प्रशंसनीय नहीं होता जिसके कारण जीवन निर्वाह खतरे में पड़ जाए । -भागवत ४ शुक्ल पक्ष का आरंभ कृष्ण पक्ष के अनंतर होता है, कांटों से व्याप्त पौधों से सुंदर पुष्पों का उद्गम होता है । - अमृतमंथन ५ जो मृत्यु के पूर्व इस देह में काम-क्रोध के वेगों को पचाकर समाप्त कर देता है, वह योगी है और वही वास्तविक सुखी है । -गीता ६ जो कर्मबंध के कारण हैं, वे ही कर्ममुक्ति के कारण हैं और जो कर्ममुक्ति के कारण हैं, वे ही कर्मबंध के कारण हैं । 1 - आचारांग ७ निरंतर काम करते हुए ही सौ वर्ष जीने की कामना करो - यजुर्वेद ८ इन्सान बुरी राह पर आगे बढ़ता है तो उसे कुछ समय सुख भी मिलता है, जीत भी मिलती है । लेकिन अन्त में सब समूल नष्ट हो जाता है । - मनुस्मृति झलकियां Jain Education International For Private & Personal Use Only ७७ www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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