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१६ प्रसन्न व्यक्ति के भीतर आत्मा की ज्योति जगमगाती रहेगी । -१७ प्रसन्नचित्त व्यक्ति कभी अभागा नहीं रहता । वह अपने दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकता है ।
: १८ जो प्रसन्न नहीं रहते, उन्हें साथी मत बनाओ । उन्हें साथी बनाओ, जो हंसते-मुस्कराते हैं, जो जीवन की वेदनाओं से नहीं मरते ।
१९ जो लोग प्रसन्नचित्त रहते हैं, वे स्वस्थ रहते हुए बहुत दिनों तक जीते हैं, जबकि क्रोधी और चिड़चिड़े स्वभाव वाले व्यक्ति बहुत कम जीते हैं ।
२० बाजार सदैव प्रसन्नचित्त और धैर्यवान लोगों के हाथों में रहता है | उन्हें ही अधिक सफलताएं मिलती हैं ।
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योगक्षेम - सूत्र
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