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५ वैज्ञानिकों ने आंसुओं का रासायनिक विश्लेषण करके पाया कि उसमें 'लीसोजीम' नामक एक तत्त्व होता है जो इतना प्रबल कीटाणुनाशक होता है कि उसकी एक बूंद दो लीटर पानी में डाल दी जाये तो पानी के सख्त से सख्त वैक्टीरिया
भी मर जायेंगे। ६ नवजात शिशु रोते समय आंसू नहीं निकालते क्योंकि आंसू
बहाने की ग्रंथियां जन्म के चार-पांच महीने पश्चात् ही विकसित होती हैं। ७ मनुष्य की आंखों में कई प्रकार के आंसू होते हैं। आंख को स्निग्ध रखने वाले आंसू एक ही प्रकार के होते हैं और वे सब व्यक्तियों की आंखों में समान रूप से पाए जाते हैं। लेकिन मनुष्य की आंख से जो दुःख-दर्द, पीड़ा, हर्ष और ममता को अभिव्यक्त करनेवाले आंसू निकलते हैं, वे सबकी आंखों में भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। ८ ध्वनि-वैज्ञानिक के अनुसार जितनी भी प्राकृतिक ध्वनियां हैं,
वे सब बहुत ही लाभकारी होती हैं । जैसे—वारिश होती हो, वृक्षों से टकराकर हवा बहती हो, पक्षी गाते हों, समुद्र उफनता हो, कलकल करते झरने बहते हों-ये आवाजें स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करती हैं। इसी प्रकार धीमी और मधुर ध्वनियों की तरंगों से ज्ञान तन्तुओं का दबाव और तनाव कम होता है । व्याधि का तीव्र प्रकोप हल्का होता है। गहरे घाव भर जाते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास होता है ।
योगक्षेम-सूत्र
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