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१० हैनरी क्ले-“मैं राष्ट्रपति होने की अपेक्षा सत्य पर टिके
रहना अधिक पसन्द करता हं।" । ११ एडीसन- 'मैंने आज तक ऐसा कोई आदमी नहीं देखा
जो प्रतिदिन जल्दी उठता हो, मेहनत करता हो और ईमानदारी से रहता हो, फिर भी दुर्भाग्य की शिकायत करता
हो। १२ लिंकन- "चाहे सफलता मेरे हाथ में नहीं है पर डटे रहना
तो हाथ में ही है।" १३ पेस्कल-"क्या तुम चाहते हो कि दुनियां तुमको भला कहे !
यदि चाहते हो तो तुम स्वयं को भला मत कहो।" १४ कनफ्यूशस- "सुव्यवस्थित संस्थान में धन से उदय नहीं
माना जाता है लेकिन लोक और लोकनायक की पवित्रता ही
उनका सच्चा धन है।" १५ टैगोर-"जब मैं स्वयं पर हंसता हूं तो मेरे मन का बोझ
हल्का हो जाता है।" १६ रवीन्द्रनाथ ठाकुर–“जल में मीन मौन है, पृथ्वी पर पशु
कोलाहल कर रहे हैं एवं आकाश में चिड़िया गा रही है परन्तु मनुष्य में समुद्र का मौन है, पृथ्वी का कोलाहल है एवं
आकाश का संगीत है।" १७ महात्मा गांधी-"जो कर्म छोड़ता है, वह गिरता है। कर्म
करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है, वह चढ़ता है ।" १८ प्रेमचन्द-"श्रद्धा देवता को भी खींच लेती है।" १६ शेक्सपीयर--"नाम में क्या रखा है ? जिसे हम गुलाब
कहते हैं, वह किसी अन्य नाम से भी वैसी सुगन्ध ही
देगा।" २० अरस्तू–“संगीत में वह शक्ति है जो आन्तरिक शूद्धि करती
है और संगीत के प्रभाव से हम शुद्ध, पवित्र, तरोताजा, स्फूर्त व स्वस्थता की अनुभूति करते हैं। यह खुशबुदार
अगरबत्ती की तरह है । यह दुर्गन्ध को मारती है।" २१ चाणक्य-गुणों से ही मनुष्य ऊंचा होता है, ऊंचे आसन
पर बैठने से नहीं, महल के ऊंचे शिखर पर बैठने से भी कौवा गरुड़ नहीं हो सकता।
योगक्षम-सूत्र
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